शर्द के धुंधले दीनो में
धुन्धले से ख्वाब
बीते दिनों से झलके
कुछ ठंडी सी आग
चादरों में लिपेटे
कुछ नर्म-गर्म यादें
नझरों की दूरियां
और भूले हुए वादे
ख़ामोश स्वरों से गूँजे
अतीत के कुछ राग
तारों कि चिंगारियां
और यही उम्र भर की रात
चादरों में लिपेटे
कुछ नर्म-गर्म यादें
नझरों की दूरियां
और भूले हुए वादे
ख़ामोश स्वरों से गूँजे
अतीत के कुछ राग
तारों कि चिंगारियां
और यही उम्र भर की रात
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