Wednesday, December 11, 2013

Winter


 शर्द के धुंधले दीनो में 
धुन्धले से ख्वाब 

बीते दिनों से झलके  
कुछ ठंडी सी आग 

चादरों में लिपेटे 
कुछ नर्म-गर्म यादें 

नझरों की दूरियां 
और भूले हुए वादे 

ख़ामोश स्वरों से गूँजे 
अतीत के कुछ राग 

तारों कि चिंगारियां 
और यही उम्र भर की रात 




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